!!!! गुस्सा, एक जलता हुआ कोयला !!!!
गुस्सा, एक जलता हुआ कोयला,जो पकड़ने वाले के हाथ को ही जलाता है।
गुस्सा, जो आपको अपनो से दूर कर देता है।
गुस्सा , जो आपकी पूरी सवेंदना को खत्म कर देता है।
गुस्सा, जो आपसे आपकी पहचान छीन लेता है।
गुस्सा, जो आपसे आपका नियंत्रण छीन लेता है।
गुस्सा, जो आपको अंदर तक व्यथित कर देता है।
गुस्सा,जो आपसे आपकी क्रियाशीलता को छीन लेता है।
गुस्सा,जो आपसे अच्छे और बुरे की समझ छीन लेता है।
गुस्सा, एक जलता हुआ कोयला,जो पकड़ने वाले के हाथ को ही जलाता है।
गुस्सा,जो आपको भीड़ में भी अकेला कर देता है।
गुस्सा,जो आपकी भूख और प्यास दोनो को छीन लेता है।
गुस्सा,जो आपको मझधार में ला खड़ा करता है।
गुस्सा,जो आपसे आपके शब्दो की परख छीन लेता है।
गुस्सा,जो आपको आवेश में गलत हरकत करने के लिए बाध्य करता है।
गुस्सा,जो आपसे गलती ही करवा बैठता है।
गुस्सा,जो आपकी हंसी छीन लेता है।
गुस्सा,एक जलता हुआ कोयला,जो पकड़ने वाले के हाथ को ही जलाता है।
गुस्सा,जो आपको समय से पीछे ला देता है।
गुस्सा,जो आपको शक के दायरे में ला खड़ा करता है।
गुस्सा ,जो आपको पतन की ओर ले जाता है।
गुस्सा,एक जलता हुआ कोयला,जो पकड़ने वाले के हाथ को ही जलाता है।
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अमित
कभी कभी गुस्सा आना सबके लिए जरूरी होता है,
ReplyDeleteपर गुस्सा निकालना कँहा है ये समझना बहुत जरूरी होता है।
समझदारी से किया जाने वाला गुस्से को क्या कहै यह समझ नही पा रहा हूँ